रतलाम - लापरवाही या मिलीभगत ? नगर पालिका निगम रतलाम से मिला दो राज्यों की ब्लेक लिस्टेड कंपनी को 11 करोड़ का ठेका।

रतलाम - लापरवाही या मिलीभगत ? नगर पालिका निगम रतलाम से मिला दो राज्यों की ब्लेक लिस्टेड कंपनी को 11 करोड़ का ठेका।

कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करने के बजाय कचरा सीधे डंप करने के मामले में कंपनी आकांक्षा इंटरप्राइजेज दिल्ली को ब्लैक लिस्ट किया गया था
रतलाम डेस्क

रतलाम - 
नगर निगम रतलाम में निगम के जिम्मेदारों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। निगम ने दो प्रदेशों से ब्लैक लिस्टेड की गई कंपनी को कचरा निष्पादन करने के लिए करोड़ों का टेंडर दे दिया है। रतलाम के अलावा इस कंपनी ने मध्यप्रदेश की सीहोर नगर पालिका से भी टेंडर हासिल कर लिया। सूचना के अधिकार के तहत अब कंपनी के बारे में खुलासा होने पर दोनों निगम व पालिका राज्य शासन से इस संबंध में मार्गदर्शन मांग रही हैं।
लेकिन क्या निगम के जिम्मेदारों को इतनी भी समझ नहीं है कि जिस कम्पनी को टेंडर मिल रहा है या दिया जा रहा है उसके बारे में जांच पड़ताल कर ले ?

आखिर क्यों ब्लैक लिस्ट किया गया था इस कम्पनी को
दरअसल, कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करने के बजाय कचरा सीधे डंप करने के मामले में कंपनी आकांक्षा इंटरप्राइजेज दिल्ली को ब्लैक लिस्ट किया गया था। इस कंपनी ने ओडिशा और झारखंड के नगरीय निकायों में भी ठेके लिए थे। 
लेकिन, कहीं भी वैज्ञानिक तरीकों से टेंडर की शर्तों के अनुसार कचरे का निष्पादन नहीं किया गया था। उल्टे कंपनी ने यहां-वहां कचरे को डंप करके गंदगी और प्रदूषण बढ़ा दिया था। 
19 जुलाई 2023 को उड़ीसा के कटक नगर निगम ने दिल्ली की कंपनी आकांक्षा इंटरप्राइजेज को ब्लैक कंपनियों की सूची में डाल दिया।इसमें बताया भी गया था कि क्योंकि कंपनी कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करने के बजाय सीधे डंप कर रही थी, इसलिए इसके गलत काम को देखकर इसे आगे से टेंडर लेने से भी रोका जाएगा। ओड़ीसा के बाद झारखंड में भी इसी के चलते इसे ब्लैक लिस्टेड करते हुए सूची में भी डाल दिया गया था।

फिर भी कैसे मिल गया करोड़ों का ठेका ?
यहां बड़ा सवाल यह है कि इतना कुछ होने के बाद भी कंपनी  मध्यप्रदेश में काम लेने में सफल कैसे हो गई ?
इसने बड़ी आसानी से अगस्त माह में सीहोर नगर पालिका व सितंबर 2023 में रतलाम नगर निगम से ठेका प्राप्त कर लिया।

रतलाम में दिया गया है लगभग 11 करोड़ का ठेका 
रतलाम में कंपनी को कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निपटान के लिए 11 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया है। 
लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि  टेंडर प्रक्रिया के दौरान कंपनी को यह प्रमाण पत्र भी देना पड़ता है कि वह पहले कभी ब्लैक लिस्ट नहीं हुई है। तो सवाल यह उठता है कि आखिर फिर कैसे इस कंपनी को रतलाम में करोड़ों का ठेका मिल गया ? 
क्या जिम्मेदारों ने कोई खोजबीन या जांच पड़ताल नही की ? 
या उक्त ब्लैकलिस्टेड कंपनी के ठेके लेने में किसी ने अपने हाथ काले किए हैं ?

कंपनी ने ब्लैकलिस्टेड होने के बाद भी अन्य निकायों में टेंडर डाले
कंपनी ने ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी बुरहानपुर, शहडोल, शिवपुरी, नागौद, पीथमपुर, महुगांव और दमोह में कचरा निष्पादन के टेंडर में भी भाग लिया था। 
हालांकि, आरटीआई कार्यकर्ता नीरज यादव द्वारा मांगी गई जानकारी में खुलासा होने पर कंपनी का सच उजागर हुआ। इसके बाद नगरीय प्रशासन के साथ रतलाम नगर निगम और सीहोर नगर पालिका में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई । शिकायत के बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने बुरहानपुर, शहडोल, शिवपुरी, नागौद, पीथमपुर, महुगांव और दमोह निकाय की टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी है। इन निकायों को नए सिरे से टेंडर बुलाने के निर्देश दिए गए हैं। 

मामले में रतलाम नगर निगम के जिम्मेदारों का क्या कहना है

कंपनी के बारे में अभी जानकारी मिली है। हमने राज्य शासन से मार्गदर्शन मांगा है। टेंडर हुआ था ।लेकिन अभी तक इस कंपनी को वर्क आर्डर जारी नहींं हुआ है। ऐसे में राज्य शासन से मार्गदर्शन मिलते ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।

 हिमांशु भट्ट, आयुक्त, नगर निगम रतलाम

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