वर्ण व्यवस्था जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती: मद्रास हाइकोर्ट

वर्ण व्यवस्था जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती: मद्रास हाइकोर्ट

मद्रास डेस्क

चेन्नई - हम आज जिस जाति व्यवस्था को जानते हैं,उसका इतिहास एक सदी से भी कम का है। इसलिए जाति के आधार पर समाज में पैदा हुए विभाजन और भेदभाव के लिए पूरी तरह वर्ण व्यवस्था को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 
यह अहम टिप्पणी मद्रास हाईकोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर दिए बयान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

जस्टिस अनीता सुमंत ने कहा कि - यह माना जा सकता है कि जाति व्यवस्था के चलते भेदभाव हो रहा है लेकिन इस व्यवस्था का इतिहास एक सदी से भी कम है।

वर्ण व्यवस्था जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती
बेंच ने यह भी कहा कि - ' वर्ण व्यवस्था जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती, यह लोगों के काम या पेशे पर आधारित थी। यह व्यवस्था इसलिए बनी थी कि लोग सुचारू रूप से काम कर सके। लोगों की पहचान उनके काम से की जाती थी। यहां तक कि आज भी लोगों की पहचान उनके काम से ही होती है।'

अदालत ने स्टालिन  नसीहत भी दी है कि वह किसी भी वर्ग को आहत करने वाले बयान देने से बचे।

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