बीजों का संरक्षण कर उपलब्धता बढ़ाने हेतु बीज महोत्सव कार्यक्रम हुआ संपन्न
Thursday, June 20, 2024
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कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी संस्कृति को जीवित रखना, उच्च गुणवत्ता वाले परंपरागत देशी बीजों की उपलब्धता को सुनिश्चित कर बाजार पर निर्भरता खत्म करना तथा बीजों का संरक्षण कर बीजों की उपलब्धता बढ़ाना और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना हैं l
ब्लॉक सहजकर्ता पिंकी टेलर ने किसानों को बताया कि प्रकृति का मूल आधार बीज है और आदिवासी संस्कृति में बीजों का महत्व सदियों से मान्य है। आज के समय में लगभग 70% बीज बाजार पर निर्भर है, जिसमें किसानों को उच्च लागत का सामना करना पड़ता है l
उन्होंने बताया कि बाजार में उपलब्ध संकर बीज स्थानीय पर्यावरण और जलवायु के अनुकूल नहीं होते हैं दूसरी ओर संकर बीज एवं आधुनिक कृषि पद्धतियों के कारण सिंचाई, जहरीले रसायन, कीटनाशकों पर होने वाला खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे खेती की लागत भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।इसलिए खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है l हमारे परम्परागत बीज पोषण से भरपूर है एवं स्थानीय जलवायु के अनुकूल है लेकिन उनकी उपलब्धता कम हो रही है। समुदाय का युवा परंपरागत बीज संरक्षण की संस्कृति को भूलते जा रहे है l इसलिए यह आवश्यक कि हम हमारी बीज संस्कृति को पुनःस्थापित करेंl
समुदाय सहजकर्ता दिव्या शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान कई गतिविधियों का आयोजन किया गया था इसमें महिलाओं द्वारा पारंपरिक गीत के साथ गांव भ्रमण, 50 से अधिक प्रकार की देशी बीजों की प्रदर्शनी,बीज संवाद, परंपरागत बीजों का आदान-प्रदान आदि l
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित किसानों ने बीज संरक्षण करने, कम से कम दो बीघा कृषि भूमि पर परंपरागत बीज, देशी खाद और देशी दवाओं के माध्यम से सच्ची खेती को अपनाने को लेकर शपथ ली। कार्यक्रम के दौरान समुदाय के कई व्यक्ति मौजूद रहे ईश्वर, मनोज,राकेश,शंकर निनामा,पवन निनामा,सुखराम,रामलाल डोडियार,भूली निनामा,इंद्र बाई, रत्ना बाई आदि मौजूद थे l