वरिष्ठ पत्रकार स्व. प्रकाश उपाध्याय के ज्येष्ठ पुत्र सुधीर उपाध्याय का बीते गुरुवार मुंबई में निधन।

वरिष्ठ पत्रकार स्व. प्रकाश उपाध्याय के ज्येष्ठ पुत्र सुधीर उपाध्याय का बीते गुरुवार मुंबई में निधन।

रतलाम - मुंबई ( दैनिक सवेरा डेस्क )

रतलाम -  वरिष्ठ पत्रकार दिवंगत श्री प्रकाश उपाध्याय के बड़े पुत्र श्री सुधीर उपाध्याय का बीते गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
श्री उपाध्याय पिछले 10 वर्षों से अपने दोनों पुत्रों और पत्नी के साथ मुंबई में ही रह रहे थे।

शुरुआती जीवन में पत्रकारिता में रहे सक्रिय,लिए कई बड़े राजनेताओं के साक्षात्कार
रतलाम से मुंबई जाने के पहले वे रतलाम में ही रहकर उनके पिता वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय श्री प्रकाश उपाध्याय के साथ प्रदेश के प्रतिष्ठित समाचारपत्र ' नईदुनिया ' के लिए काम करते रहे। 
इस दौरान उन्होंने उस समय के बड़े राजनेताओं के साक्षात्कार भी लिए जिसमें कुशाभाऊ ठाकरे ( जब ठाकरे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे ), सुंदरलाल पटवा ( जो कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे ) व अजय सिंह ( मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र व बाद में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष भी रहे ) जैसे नाम शामिल है।
वे नई दुनिया में साप्ताहिक तौर पर  'रतलाम जिले की पाती' नाम से एक कॉलम भी  लिखा करते थे। जिसका जिले के पाठकों को इंतजार रहता था। अगर किसी कारणवश किसी हफ्ते पाती नहीं छप पाती थी तो लोग फोन लगाकर या व्यक्तिगत रूप से मिलकर उसकी शिकायत भी श्री उपाध्याय से करते थे।

भास्कर के रतलाम संस्करण की शुरुआत में भी रहे सक्रिय
स्व. उपाध्याय ने अपने पिता स्व.श्री प्रकाश जी के साथ नई दुनिया के अलावा दैनिक भास्कर में भी काम किया। 
जब दैनिक भास्कर के रतलाम संस्करण का रतलाम से प्रकाशन शुरू किया गया. तब स्वर्गीय श्री प्रकाश उपाध्याय व सुधीर उपाध्याय को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। 
उन्होंने इस काम को भी अच्छे से संभाला। वे रात दो बजे तक पावर हाउस रोड स्थित भास्कर प्रेस पर रहकर रतलाम संस्करण छपवाने व उसको चेक करने के बाद ही घर आते थे।

सामाजिक कार्यों में भी करते थे भागीदारी
वे उन दिनों पत्रकारिता के अलावा सामाजिक कार्यों में भी भागीदार रहे। जरूरतमंदों को आवश्यकता पड़ने पर वे उनके लिए खून की व्यवस्था करवाने से लेकर आर्थिक मदद भी कर दिया करते थे। स्व. उपाध्याय पूरे रतलाम में ' लीडर ' के नाम से मशहूर थे। बाद में वे पत्रकारिता की दुनिया से दूर हो गए और मुंबई जा कर बस गए थे।
उनके इस प्रकार असमय चले जाने से रतलाम के पत्रकारिता व राजनीतिक जगत में कई लोगों ने उनके प्रति शोक संवेदना व्यक्त की।

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