साक्षात्कार : वरिष्ठ भाजपा नेता, पूर्व विधायक व राष्ट्र कवि सत्यनारायण सत्तन का विशेष साक्षात्कार

साक्षात्कार : वरिष्ठ भाजपा नेता, पूर्व विधायक व राष्ट्र कवि सत्यनारायण सत्तन का विशेष साक्षात्कार

इंदौर डेस्क 

दैनिक सवेरा के लिए प्रियेश उपाध्याय/ कार्तिक त्रिवेदी

सत्य का स्वाद भले ही कड़वा बताया जाता हो लेकिन सत्य समाज और शरीर दोनों के लिए ही लाभदायक होता है। अपने शब्दों में शहद सी मधुरता रखने वाले शब्दों के जादूगर जब पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जाते है तब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्र प्रेम को प्रखरता प्रदान करने वाले विचार से प्रेरित होकर हमेशा के लिए स्वयं सेवक होने के साथ-साथ उनकी सामाजिक व राजनीतिक यात्रा की शुरुआत होती है. 
आज दैनिक सवेरा के साथ विशेष साक्षात्कार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक एवं राष्ट्र कवि श्री सत्यनारायण सत्तन ने कई सामाजिक, राजनीतिक विषयों पर हमसे चर्चा की. 

दैनिक सवेरा : सार्वजनिक जीवन में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

सत्यनारायण सत्तन: मैं भारतीय जनता पार्टी में आने से पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक था। शाखा में जाता था। मेरी मानसिकता और वैचारिकता देश प्रेम से जुड़ी हुई थी, समाज से जुड़ी हुई थी।

दैनिक सवेरा: उस दौर में चुनाव प्रचार किस प्रकार होता था?

सत्यनारायण सत्तन: प्रचार उस समय इस प्रकार होता था कि जिन लोगों के पास धन था, वे प्रचार के बड़े-बड़े साधन उपयोग करते थे बड़े पोस्टर लगाते, विज्ञापन करवाते और कई आधुनिक उपकरणों का भी उपयोग करते थे।
लेकिन हमारे पास कुछ नहीं था। पार्टी भी नई थी, इसलिए न पार्टी के पास पैसा था, न हमारे पास। हमारे पास सिर्फ जनता का विश्वास था और हमें यह भरोसा था कि अगर हम अपनी बातें सच्चाई के साथ समाज के सामने रखेंगे तो लोग उसे स्वीकारेंगे और वैसा ही हुआ। जनता ने भाजपा को स्वीकारा।

दैनिक सवेरा: आजाद भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री कौन हैं?

सत्यनारायण सत्तन: यह प्रश्न कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही हल किया जा सकता है। लोक जीवन में प्रधानमंत्री के पद पर रहे लोगों की आलोचना और प्रशंसा दोनों होती हैं।
अगर इन सब में बेहतर स्थिति देखें तो लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस बात की स्वीकारोक्ति दी कि वो लोक प्रियता के शिखर तक पहुंचे। शास्त्री जी जनता से जुड़े रहे, अटल जी जनता से जुड़े रहने के परिणाम स्वरूप जनता की आकांक्षाओं की प्रतिध्वनि बनकर भारत के प्रधानमंत्री बने।
अटल जी के सांसद रहते ही लोग कहने लगे थे कि “अटल बिहारी वाजपेयी जी का प्रधानमंत्री बनना जरूरी है” और वो बने, क्योंकि वह लोक जीवन की आवाज थी।

दैनिक सवेरा: मध्यप्रदेश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री कौन लगते हैं?

सत्यनारायण सत्तन: मुख्यमंत्री का पद ऐसा होता है कि एक पक्ष की नजर में वह प्रतिभाशाली होता है तो दूसरे पक्ष की नजर में आलोचना का विषय। यही राजनीति की पद्धति और परिदृश्य है।

दैनिक सवेरा: धर्म की राजनीति पर क्या कहना है?

सत्यनारायण सत्तन: धर्म की राजनीति कहो या राजनीति का धर्म, दोनों ही दृष्टियों से देखें तो हमारा देश हिंदुस्तान है, भारत है, इंडिया है। लोग अपनी रुचि के अनुसार स्मरण करते हैं।
"अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः। पूर्वापरौ तोयनिधीव ग्राह्यः स्थितः पृथिव्या इव मानदण्ड:”
यह हमारी प्राकृतिक सीमा का वर्णन है जो सदियों से अटूट रही है। राष्ट्र का सांस्कृतिक और धार्मिक स्वरूप अत्यंत विशाल है। कभी-कभी इसमें छोटी-मोटी विकृतियाँ देखी जा सकती हैं, परंतु भारत धर्म के मामले में सहिष्णुता रखता है।
सनातन धर्म का सिद्धांत है “सर्वधर्म समभाव, स्वदेशी और स्पर्श भावना।”
अर्थात् सभी धर्म समान हैं और उनका स्पर्श इस प्रकार किया जाता है जैसे हम स्वदेशी के साथ है।

दैनिक सवेरा: मतदाताओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

सत्यनारायण सत्तन: मतदाता किसी की मर्ज़ी का मालिक नहीं होता, वह अपनी मर्ज़ी का स्वयं मालिक होता है।
उसे यही संदेश देना चाहूँगा कि वह अपने विवेक से मतदान करे देश की प्रगति, समाज की उन्नति, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यक्ति का चयन करे जो उसकी भावनाओं का समाधान करने की योग्यता रखता हो।

दैनिक सवेरा: युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

सत्यनारायण सत्तन: युवा जिस वातावरण में रहते हैं, वैसा ही उनका आचरण बन जाता है। पहला पारिवारिक परिवेश, दूसरा मित्र वर्ग और तीसरा समाज ये तीन तत्व युवाओं के निर्माण में भूमिका निभाते हैं। कई परिवारों में बुरी आदतें पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं, और कई युवा अच्छे मित्रों के संपर्क में आकर सुधर भी जाते हैं। युवाओं का बिगाड़ना या सुधारना, दोनों ही उनके आसपास के माहौल पर निर्भर करता है।

दैनिक सवेरा: युवा राजनीति को लेकर क्या कहना है?

सत्यनारायण सत्तन: युवा राजनीति देश के लिए अत्यंत आवश्यक है।
नई पीढ़ी को प्रगतिशील सोच के साथ आगे बढ़कर देश, समाज और नीति-रीति की सुरक्षा का दायित्व उठाना पड़ेगा। युवाओं को इस योग्य बनाना होगा कि वे नागरिक के कर्तव्यों और अधिकारों का पालन निष्ठा से कर सकें।

दैनिक सवेरा: कांग्रेस के आरोप कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है, इस पर क्या कहना है?

सत्यनारायण सत्तन: राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया सनातन काल से चलती आई है। इसे रोकना जरूरी है, पर यह कभी पूरी तरह रुकेगी नहीं। क्योंकि जब तक समाज दो वर्गों में बंटा रहेगा पक्ष और विपक्ष तब तक दोनों अपनी-अपनी बातें कहते रहेंगे।

दैनिक सवेरा: सरकार कोई भी बिल लाए तो विपक्ष उसका विरोध ही क्यों करता है,  क्या यह उचित है?

सत्यनारायण सत्तन: सरकार द्वारा लाए गए सारे बिल समाज की भलाई के लिए होते हैं। लेकिन विरोध इसलिए होता है क्योंकि कभी-कभी उन बिलों में कुछ खामियाँ रह जाती हैं।
विपक्ष का काम है उन खामियों को खूबियों में बदलना।
इसलिए विरोध बुरा नहीं है, बल्कि लोकतंत्र का एक आवश्यक हिस्सा है।

दैनिक सवेरा: पहले की भाजपा और वर्तमान भाजपा में क्या अंतर देखते हैं?

सत्यनारायण सत्तन: भाजपा की शुरुआत जनसंघ से हुई दीपक ( चुनाव चिन्ह ) से वर्ष 1952 में। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में इसका गठन हुआ । क्योंकि उस समय देश का झुकाव एकतरफा था हर ओर कांग्रेस ही कांग्रेस थी। विपक्ष की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था। जनसंघ ने उस दौर में लोकतंत्र को संतुलन दिया। नैतिकता और राजनीति साथ-साथ चलती हैं, लेकिन उनका निर्वाहन कठिन होता है। बहुत कम लोग होते हैं जो नैतिकता पूर्वक आचरण करके राजनीति को अंजाम तक पहुंचाते हैं। नैतिकता और अनैतिकता, अंधकार और प्रकाश, रात और दिन सब एक-दूसरे के पर्याय हैं। समाज में ये बदलाव आते रहते हैं, लेकिन समाज की गति कभी नहीं रुकती।
जैसा इकबाल ने कहा है:
“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।”
यही हमारी एकता, मातृभूमि के प्रति स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। हम समाज में भले हिंदू-मुसलमान करते रहें, पर जब वतनपरस्ती का अवसर आता है तो रानी लक्ष्मीबाई के तोपची गुलाम घोष याद आते हैं: 
“देशभक्ति आसमां का चमकता सितारा था

दैनिक सवेरा: इंदौर नगर निगम में कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी समाप्त किए जाने पर क्या कहना है?

सत्यनारायण सत्तन: अनवर कादरी उर्फ अनवर डकैत लव जिहाद को फंडिंग करने जैसी गतिविधियों में शामिल था। समाज की जो गतिविधियाँ आपराधिक दायरे में आती हैं, उनका संबंध भारतीय न्याय संहिता की दफा - धाराओं से होता है।
जो व्यक्ति अपनी संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करता है, वह अपराधी की श्रेणी में आता है। और जब ऐसा व्यक्ति समाजसेवी कहलाए, तब यह मामला और गंभीर हो जाता है।

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