सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, उज्जैन में मस्जिद तोड़ने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, उज्जैन में मस्जिद तोड़ने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

उज्जैन डेस्क 

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुए उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने उज्जैन स्थित तकिया मस्जिद के विध्वंस को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। 
उक्त याचिका इस मस्जिद में नमाज अदा करने वाले 13 स्थानीय नागरिकों ने दायर की थी, एवं इसके जरिए उन्होंने आरोप लगाया गया था कि मध्य प्रदेश सरकार ने प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के पार्किंग क्षेत्र को बढ़ाने के लिए उनकी लगभग 200 साल पुरानी मस्जिद को तोड़ दिया है। 
इस याचिका के जरिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग करते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाने की अपील की थी, ताकि उस जगह पर कोई निर्माण कार्य ना हो सके। साथ ही इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग भी की थी।


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में शुक्रवार को निर्णय देते हुए कहा कि विध्वंस और अधिग्रहण कानून के अनुसार किया गया था और इसके लिए मुआवजा भी दिया गया था। अदालत ने कहा कि 'वैधानिक योजना के अंतर्गत यह जरूरी है कि प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए।'

अदालत ने इस बात का उल्लेख भी किया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पहले उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका वापस ले ली गई थी। न्यायालय ने कहा, 'आपने उसी मांग को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे वापस लेते हुए खारिज कर दिया गया था।'

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद ने सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखा और उच्च न्यायालय के तर्क को कानून की दृष्टि से गलत बताया। उन्होंने कहा 'जिस तरह से यह किया गया है। इस पर विचार करने की जरूरत है। विवादित आदेश को पारित करते हुए यह तर्क दिया गया है कि याचिकाकर्ता अपने घर में या कहीं और भी नमाज अदा कर सकते हैं। यह तर्क दिया गया है।'

हालांकि सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने बहुत अच्छा तर्क दिया है कि याचिका खारिज कर दी गई और वापस ले ली गई, और मुआवजा दिया गया।' इसके बाद जब शमशाद ने कहा कि, 'मुआवजा अनधिकृत व्यक्तियों को दिया गया था।' तो अदालत ने याद दिलाया, 'इसके लिए आपके पास कानून के अंतर्गत उपाय मौजूद हैं।'

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