इंदौर में वक्फ बोर्ड पर नगर निगम की जीत।
कोर्ट ने फैसले में यह कहा
लेकिन नगर निगम यह प्रमाणित करने में सफल रहा कि वादग्रस्त भूमि वादी नगर पालिक निगम इंदौर में वेष्टित भूमि होने से वादग्रस्त भूमि का स्वामी एवं आधिपत्यधारी है। साथ ही प्रतिवादीगण वादग्रस्त भूमि पर अवैध रूप से दीवार बनाकर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में वादी/अपीलार्थी के पक्ष में स्वत्व घोषणा की डिक्री पारित किया जाना उचित होगा। प्रतिवादीगण यह प्रमाणित करने में तो सफल रहे कि मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोग विगत 150 वर्षों से वादग्रस्त संपत्ति के भाग पर ताजिए ठंडे करने का धार्मिक कार्य करते चले आ रहे हैं, लेकिन यह प्रमाणित करने में नाकाम रहे कि वादग्रस्त संपत्ति वक्फ संपत्ति है।
यह दिया आदेश
दरअसल, उक्त वाद में निचली अदालत ने उक्त संपत्ति को वक्फ भूमि माना था। इस पर अपीलीय अदालत ने कहा कि विद्वान विचारण न्यायालय ने वादग्रस्त भूमि वादी के स्वामित्व की तथा अवधि बाह्य न मानकर वक्फ संपत्ति मानकर विधिक एवं तथ्यात्मक भूल की है। अत: विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय एवं डिक्री दिनांक 13.05.2019 को पलटते हुए वादी की अपील स्वीकार की जाती है और वादी के पक्ष में डिक्री पारित कर यह घोषित किया जाता है कि वादग्रस्त भूमि का स्वामी इंदौर नगर निगम है। कोर्ट में नगर निगम की ओर से अधिवक्ता मोहन शर्मा ने पैरवी की।