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तो आखिर इसलिए मुख्य सचिव बनते- बनते रह गए डॉ. राजेश राजौरा.

तो आखिर इसलिए मुख्य सचिव बनते- बनते रह गए डॉ. राजेश राजौरा.

भोपाल डेस्क

भोपाल - शुरू से मुख्य सचिव की दौड़ में आगे चल रहे डॉ. राजेश राजौरा ऐन वक्त पर प्रदेश के मुख्य सचिव बनते- बनते रह गए.
राजौरा का नाम शुरू से ही लगभग तय माना जा रहा था। आज भी बस उनके नाम की घोषणा भर होना बाकी था, राजौरा को बधाइयां भी मिलना शुरू हो चुकी थी, लेकिन ऐन मौके पर 1989 बैच के अनुराग जैन के नाम पर मुहर लगा दी गई।

शुरू से सीएस की दौड़ में आगे चल रहे थे राजौरा

दरअसल, राजौरा शुरू से ही सीएस की दौड़ में आगे माने जा रहे थे। इसके पीछे कारण यह था कि सीएस की दौड़ में तीन नाम चल रहे थे 1989 बैच के अनुराग जैन, 1990 बैच के डॉक्टर राजेश राजौरा एवं 1990 बैच के ही एसएन मिश्रा।  
इन तीनों नामों में से अनुराग जैन और डॉक्टर राजेश राजौरा मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री मोहन यादव की पसंद थे।
इसलिए इन दोनों की संभावना ज्यादा मजबूत थी। लेकिन क्योंकि अनुराग जैन केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे इसलिए यह माना जा रहा था कि उनकी सेवाएं दिल्ली में ही निरंतर रहेंगी। यही कारण था कि डॉक्टर राजेश राजौरा का नाम ना सिर्फ सबसे आगे चल रहा था बल्कि  लगभग तय ही माना जा रहा था।

और फिर यूं अनुराग जैन के नाम पर लग गई मुहर

खबरों में भले ही राजौरा का नाम तय माना जा रहा था, लेकिन सूत्रों की मानें तो सचिवालय में सुबह से ही कशमकश का माहौल था कि आखिर किसके नाम पर मुहर लगेगी ?
दोपहर तक लगभग सभी ने मान लिया था कि राजौरा ही सीएस बन रहे हैं। लेकिन दिल्ली से संदेश आया कि डॉ. राजेश राजौरा के रिटायरमेंट में फिलहाल  समय है, इसलिए अनुराग जैन को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया जा रहा है।
इसी तरह शुरू से रेस में आगे चल रहे राजौरा प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया बनते बनते रह गए और अनुराग जैन बन गए प्रदेश के मुख्य सचिव।

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